कुछ बाकी है....

अभी भी कुछ बाकी है ,
कुछ  अधूरा , कुछ खाली है। 

कुछ अल्फ़ाज़ जो डरे हुए से ,
रुके हुए हैं होठो पर.... 

एक आवाज़ जो चीख़ रही है ,
पर पहुँच नहीं रही कानो तक.... 

कुछ शोरगुल तो हुआ था ,
लेकिन सन्नाटा ही सन्नाटा है। 

क्या ये मैं ही हूँ या नही ,
कोई भ्रम , मिथ्या , माया है। 

वो देख !

कुछ कण बिख़रे हुए हैं अभी  भी ,
चिंगारी पूरी बुझी नही है। 

फिर यथार्थ का सृजन कर तू ,
फिर मृत में जान भर तू। 

पर क्यों ?

क्योंकि अभी भी कुछ बाकी है ,
कुछ अधूरा कुछ खाली है। 
अनुश्री 
१५-मार्च -२०१८    

                                                                                                                                                  

Comments

  1. Trust the wait and Embrace the uncertainty ....

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